सिटी रिपोर्टर केशव साहू
कोरबा (सलवा जुडूम मीडिया) आपको बता दे कि जिले में सरकारी फाइलें अब सुरक्षित नजर नहीं आ रही है। जिन दस्तावेजों के सहारे शासन ने लोगों को नौकरी दी है वह दस्तावेज अब सरकारी कार्यालय से गायब होने लगे हैं। कुछ कार्यालय में दीमक खा जाने से दस्तावेज नष्ट हो जाने का हवाला दिया जा रहा है तो वहीं भवन ध्वस्त होने के कारण दस्तावेज नष्ट हो जाने की जानकारी दी जा रही है।
यह खुलासा सूचना के अधिकार से हुआ है। ऐसे चौंकाने वाली जानकारियां से अब सरकारी नौकरशाहो की कार्यशैली पर सवाल उठने लगा है। वहीं शासन के महत्वपूर्ण दस्तावेज की सुरक्षा को लेकर भी लोगों को चिंता सताने लगी हैं। अधिकांश फाइलें जो गायब हो रही हैं उसमें कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार होने की आशंका जताई जा रही है और यही कारण है कि फाइले विभाग से गायब होने लगे हैं।
ताजा मामला जनपद पंचायत कटघोरा, करतला एवं पोड़ी उपरोड़ा का है। आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र कुमार साहू द्वारा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत कटघोरा अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2011 में चयनित शिक्षा कर्मी वर्ग – 3 के सभी संकायों की मेरिट सूची, प्रतीक्षा सूची सहित संबंधित समस्त दस्तावेजों की सत्यापित प्रतिलिपि मांगी थी। परंतु जवाब में जन सूचना अधिकारी, सीईओ, जनपद पंचायत कटघोरा द्वारा जवाब दिया गया है जिसमें समस्त दस्तावेज जनपद पंचायत कटघोरा के पुराने भवन में था जो की भवन के ध्वस्त हो जाने के कारण नष्ट हो गया जिसके कारण इस कार्यालय में जानकारी उपलब्ध नहीं है।
इसी तरह जनपद पंचायत करतला में वर्ष 2005 में चयनित हुए शिक्षाकर्मियों के सभी संकायों की मेरिट सूची मांगी गई थी जिस पर जन सूचना अधिकारी द्वारा जवाब देते हुए बताया गया कि वर्ष 2005 में शिक्षाकर्मी भर्ती से संबंधित समस्त दस्तावेज न्यायिक अभिक्षा में रखी गई है। उक्त भर्ती से संबंधित कोई भी दस्तावेज कार्यालयीन रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं है जिसके कारण जानकारी प्रदान किया जाना संभव नहीं है।
इसी तरह RTI कार्यकर्ता ने जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा से भी जानकारी चाही जिस पर उनके द्वारा वर्ष 2005 में शिक्षाकर्मी वर्ग – 3 के सभी संकायों के मेरिट सूची सहित सम्पूर्ण जानकारी सत्यापित प्रतिलिपि के रूप में मांग की गई थी। लेकिन हैरानी वाली बात है कि यहां भी आरटीआई कार्यकर्ता को जो जवाब दिया गया वह भी चौंकाने वाला था। यहां शिक्षाकर्मी शाखा प्रभारी जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा में पदस्थ आर.के. उपाध्याय ने जानकारी दिया था कि संबंधित दस्तावेज प्राकृतिक प्रकोप दीमक लगने के कारण नष्ट हो चुका है जिसके कारण अभिलेख कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।
आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र साहू ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि जिले में शिक्षाकर्मी भर्ती में जमकर फर्जीवाड़ा किया गया है। वर्ष 2005, 2007 और 2011 में भर्ती हुए अधिकांश अपात्र शिक्षकों को अधिकारियों ने अपने पद और अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए नौकरी दिलाई है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण भी सामने आया है। शासकीय दस्तावेजों का इस तरह से नष्ट होने का हवाला देकर उच्च अधिकारी सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम कर रहे हैं और यदि कार्यालय से दस्तावेज सही मायने में गायब हो चुके हैं तो कहीं ना कहीं यह जिम्मेदार अधिकारियों की घोर लापरवाही को दर्शाता है जिनके ऊपर कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है। इसके अलावा इन जिम्मेदार अधिकारियों/कर्मचारियों के ऊपर कानूनी दंडात्मक कार्रवाई करते हुए अपराध पंजीकृत कर जेल भेजने की भी जरूरत है।
जिले में सरकारी फाइल गायब होने की यह पहली घटना नहीं है। इसके पहले भी सहायक आयुक्त कार्यालय कोरबा से करोड़ों की फाइल गायब हो चुकी है जिसका अब तक पता नहीं चल सका है। भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारी एवं कर्मचारी लाखों रुपए कमाकर मालामाल हो गए। लेकिन इस मामले में प्रशासनिक जांच के नाम पर अब तक दोषियों पर कार्रवाई शून्य है जिसके कारण ऐसे भ्रष्टाचारियों का मनोबल बढ़ा हुआ है और दूसरे कर्मचारियों को भी हौसला देने का काम किया जा रहा है।
कार्यालय से सरकारी दस्तावेज को दीमक खा जाना, भवन ध्वस्त होने के कारण दस्तावेज का नष्ट हो जाना या न्यायिक अभीरक्षा में रखे होने की बात कहना आखिरकार किस बात को दर्शाता है। क्या जिम्मेदार अधिकारी ऐसे मामलों पर अपनी जिम्मेदारी कही भी निभाते नजर आ रहे है? आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र साहू का कहना है कि जिला प्रशासन से इस मामले को लेकर उच्च स्तरीय जांच टीम गठित कर सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग करने वाले हैं साथ ही न्याय नहीं मिलने पर न्यायालय की शरण में जाकर सभी जिम्मेदार अधिकारियों को पार्टी बनाते हुए उन सभी को सेवा से बर्खास्त करते हुए अपराधिक प्रकरण दर्ज कर जेल भेजने की कार्रवाई कराई जाएगी।