छ ग चीफ ब्यूरो प्रमुख भूपेंद्र देवांगन
जांजगीर-चांपा(सलवा जुडूम मीडिया) आपको बता दे कि सिंगापुर प्रो रेसलिंग (एस पी डब्ल्यू ) में फरवरी 2025 में संभावित इंटर रेसलिंग इवेंट्स में छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर-चांपा जिले के एक छोटे-से गांव का युवक अपना जलवा दिखाते नजर आयेंगे । इस इंटर रेसलिंग इवेंट्स में अमेरिका , वियतनाम , मलेशिया सहित कई देशों के रेसलर रिंग में दो-दो हाथ करते नजर आयेंगे। वहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश के जांजगीर-चांपा जिलांतर्गत आने वाले ग्राम अमोरा ( महन्त) निवासी रेसलर प्रतीक तिवारी इस इवेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगें । इवेंट्स के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए रेसलर प्रतीक तिवारी ने अरविन्द तिवारी और शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय चांपा में सहायक प्राध्यापक वाणिज्य रह चुके शशिभूषण सोनी को बताया कि नेशनल और इंटरनेशनल इवेंट्स कराने वाली विदेशी अमेरिकी टीम रिंग ऑफ हॉनर (आर ओ एच ) के एक पहलवान (रेसलर) से प्रतीक तिवारी (द लायन) का ओपन चैलेंज हो सकता हैं । यह इवेंट्स काफी रोमांचक और दिल थामने वाला रहेगा , इस मौत के मुकाबले में दोनों रेसलर अपनी जान की बाजी लगायेंगे । रेसलर प्रतीक तिवारी ने आगे बताया कि यह मौत का मुकाबला एक मैच ना होकर दो रेसलरों के बीच जिंदगी की जंग भी होती हैं , इसमें कोई भी नियम नहीं होता और बेस बॉल के साथ फेंसिंग तार , टेबल के साथ किल ट्यूब स्टिक , कैंडल स्टिक , चेयर , टेबल लैडर का उपयोग किया जाता हैं । यानि हर रेसलर अपनी जीत तय करने के लिये किसी भी हद तक जा सकता हैं , चाहे प्रतिद्वंदी का जान भी क्यों ना चली जाये । उन्होंने बताया कि सिंगापुर इवेंट्स के लिये डाक्यूमेंट्स और रिकॉर्ड्स जांच की सभी प्रोसेस अभी जारी हैं , अंत में मेडिकल जांच में एकदम फिट होने के बाद ही इवेंट्स में भाग लेने की अनुमति मिलती हैं । इस इवेंट्स के लिये उनका नियमित अभ्यास जारी हैं और उन्हें तो अब केवल इवेंट्स में प्रतिभागी बनने के अनुमति का ही इंतजार हैं । सात समंदर पार अमेरिका में संभावित इस इवेंट्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला इकलौता रेसलर प्रतीक तिवारी ने कहा कि रेसलिंग ही हमारा प्रथम और अन्तिम लक्ष्य हैं। हर इवेंट्स की तरह हम अपनी तिरंगा को झुकने नहीं देंगे , जिंदा रहे तो वहां भी तिरंगा लहरायेंगे और रिंग में सांस रुकी तो तिरंगा से ही लिपट कर घर वापस भी आयेंगे। फिलहाल विभिन्न राज्यों में नेशनल और इंटरनेशनल फाइटिंग देखने के बाद प्रतीक के फैन उनको इस बार भी सिंगापुर के रिंग में मुकाबला करते हुए देखना चाहते हैं और इसके लिये वे सभी ईश्वर से प्रार्थना करने में लगे हुए हैं।*दुनिया में दो लायन के नाम से विख्यात हैं प्रतीक ।*
ग़ौरतलब हैं कि रेसलर की दुनियां में द लायन के नाम से सुप्रसिद्ध रेसलर प्रतीक तिवारी ( उम्र मात्र 27 वर्षीय ) जांजगीर चांपा जिले के नवागढ़ विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम अमोरा ( महंत ) निवासी श्रीमति मंजू राम गुलाम तिवारी के इकलौते सुपुत्र हैं । बारहवीं तक की शिक्षा अपने गांव में ही पूरी करने के बाद इन्होंने ग्रेजुएशन किया हैं । *मैंने तय कर लिया हैं कि जीवन में रेसलर ही बनना हैं – तिवारी।*अपने निवास पर पत्रकार वार्ता में अरविन्द तिवारी और शशिभूषण सोनी से चर्चा करते हुए प्रतीक तिवारी ने बताया कि उनके पिता राम गुलाम तिवारी रेसलिंग की दुनियां में डंका बजाने वाले खली के बड़े फैन हैं । मैंने जब से होश सम्हाला एंटरटेनमेंट के नाम पर उन्हें टीवी पर फाइट देखते ही पाया । मन ही मन मैंने तय कर लिया था कि रेसलर ही बनना हैं । तेरह साल की उम्र में घर पर ही जिम बनाकर एक्सर्साइज करने लगा । मेरी लगन देखकर पैरेंट्स भी खली के पास ट्रेनिंग के लिये भेजने राजी हो गये। जिसके बाद उन्होंने अपने इकलौते बेटे को रेसलिंग में भेजने का ठान लिया और द ग्रेट खली के पास प्रशिक्षण के लिये पंजाब भेजा। तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद ट्रेनिंग लेकर प्रतीक अब तक दो सौ से अधिक रेसलिंग में हिस्सा लेकर कई राज्यों सहित विदेशी रेसलरों को भी रिंग में धूल चटा चुका हैं । *उनके जीवन का अंतिम लक्ष्य रेसलर ही हैं – प्रतीक तिवारी।*प्रतीक तिवारी ने अपने लक्ष्य के बारे में दैनिक समाचार-पत्रों से सम्बद्ध शशिभूषण सोनी के द्वारा बार-बार पूछे जाने पर बताया कि उनका पहला और अंतिम लक्ष्य रेसलिंग ही हैं । वे अपनी प्रतिभा को लोगों के सामने लाना चाहते हैं ,ताकि दूसरे को प्रेरणा मिल सके । कई विदेशी रेसलरों को हराकर चैंपियनशिप बेल्ट हासिल करने के बाद प्रतीक पिछले बार अपने गृह राज्य छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित प्रो रेसलिंग में भी भारत की तरफ से अपनी जान की बाजी लगाई थी । इसमें प्रतीक का मुकाबला नेपाल के प्रोफेशनल रेसलर अमित ऐस्सनसन से हुआ , कई इंटरनेशनल फाइटरों को धूल चटाने वाले प्रतीक द लायन ने आखिरकार इस मुकाबले में भी अपनी जीत दर्ज कर अपने जिला और प्रदेश का नाम रोशन किया था ।