सिटी रिपोर्टर केशव साहू
कोरबा (सलवा जुडूम मीडिया) आपको बता दे कि कांग्रेस शासन काल में कोयले की अफरा – तफरी को लेकर जिला पहले से ही बदनाम हो चुका है। पूर्व में कोयला घोटाले में जुड़े कई सफेद पोश लोग और कोरबा के पूर्व कलेक्टर IAS रानू साहू, खनिज उप संचालक एस. एस. नाग, डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया सहित कई अधिकारी आज भी जेल की सलाखों में है। कोयला घोटाला को लेकर छत्तीसगढ़ के कई जिलों में ईडी की रेड भी पड़ती रही और कोयला से जुड़े कई कारोबारियों के यहां बड़ी मात्रा में कैश भी जप्त किये गए।
इसी बीच कोरबा जिले से बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है, यहां एक बार फिर से कोल स्कैम शुरू हो गया है। पूरा मामला वेदांता कंपनी से जुड़ा हुआ है। पिछले कई वर्षों से बंद बी.सी.पी.पी. प्लांट में कई हजार टन अवैध रूप से कोयले का भंडारण किया गया है। अब गुपचुप तरीके से दोबारा कोयले को वापस वेदांता कंपनी बालको में सप्लाई की जा रही है। इसका ठेका केसीपीएल कंपनी को दिया गया है।
पिछले कई वर्षों से बंद पड़े बी.सी.पी.पी. प्लांट में कोयले के भंडारण को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। इस मामले में खनिज विभाग की सबसे बड़ी भूमिका नजर आ रही है जो चुप्पी साधे बैठी है मानो इन्हें इनकी मौन स्वीकृति हो। इस तरह भंडारित किए गए कोयले को लेकर जिले में चर्चा खूब हो रही है। लोगों का कहना है कि एक बार फिर कोयला का खेल शुरू हो गया है। इसके पहले भी वेदांता कंपनी द्वारा कांग्रेस शासन काल वर्ष में बंद पड़े बीसीपीबी प्लांट में लाखों टन कोयले का अवैध भंडारण कर अफरा तफरी कर चुका है।
सूत्रों की माने तो बंद पड़े बी.सी.पी.पी. प्लांट के नाम पर रियायती दर पर खदानों से कोयले का उठाव और ट्रांसपोर्टिंग किया जा रहा है और बंद पड़े प्लांट परिसर में भंडारित किया गया है जिसे बाद में वेदांता कंपनी बालकों में उपयोग करने परिवहन किया जा रहा है। इस तरह कोयले के अवैध परिवहन में अफरा – तफरी स्पष्ट है जिससे राज्य एवं केंद्र सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व हानि हो रही है। वहीं इस व्यापार से जुड़े ट्रांसपोर्टर सहित बालको के अधिकारी मालामाल हो रहे हैं।
पूर्व में बंद पड़े बी.सी.पी.पी. पर प्लांट में कोयले के भंडारण को लेकर खनिज विभाग के एक अधिकारी से चर्चा भी की गई जिसमें अधिकारी द्वारा यह कहा गया कि रेलवे यार्ड होने के कारण वेदांता कंपनी बालको के अधिकारी द्वारा भंडारण करने आवेदन दिया था। कितनी मात्रा में कोयला स्टॉक करने की अनुमति दी गई है यह जानकारी अभी नहीं है। इसकी सही जानकारी खनिज अधिकारी ही दे सकते हैं। वही खनिज अधिकारी प्रमोद नायक को संपर्क करने पर हमेशा की तरह कॉल रिसीव नहीं किया गया जिसके कारण जानकारी नहीं मिल सकी।
अब सबसे बड़ा सवाल इस मामले को लेकर यह है कि आखिरकार बंद पड़े बी.सी.पी.पी. प्लांट में कोयला कहां से लाया जा रहा है? और इस कोयले का यहां पर क्या उपयोग है? और यदि इस कोयले को भंडारित कर दोबारा ट्रांसपोर्टिंग करते हुए वेदांता कंपनी द्वारा बालको लाया जा रहा है तो इसमें दोहरी ट्रांसपोर्टिंग की हानि होने के बावजूद लाभ किसको है? क्या कोयले को सीधा बालको प्लांट नहीं लाया जा सकता था? क्या खनिज विभाग से भंडारण करने अनुमति ली गई थी? क्या इस कोयला भंडारण के पीछे वेदांता कंपनी की एक नई चाल है जिसमें कोयले का घोटाला किया जा सके? क्या बीसीपीबी प्लांट के नाम पर रियायती दर पर कोयला खरीद कर ऊंचे दम का कोयला बेचने का लाभ लिया जा रहा है? जल्द ही खुलासा होगा।