तपसी बाबा के विचार के विरुद्ध काम कर रहे हैं, डोगाघाट मंदिर महंत व समिति, श्री हनुमान अखाड़ा को ध्वस्त करना आपराधिक कृत्य..!!* *स्वामी सुरेंद्र नाथ जी*,,,

तपसी बाबा के विचार के विरुद्ध काम कर रहे हैं, डोगाघाट मंदिर महंत व समिति, श्री हनुमान अखाड़ा को ध्वस्त करना आपराधिक कृत्य..!!*                        *स्वामी सुरेंद्र नाथ जी*,,,
तपसी बाबा के विचार के विरुद्ध काम कर रहे हैं, डोगाघाट मंदिर महंत व समिति, श्री हनुमान अखाड़ा को ध्वस्त करना आपराधिक कृत्य..!!*                        *स्वामी सुरेंद्र नाथ जी*,,,

छ ग चीफ ब्यूरो प्रमुख भूपेंद्र देवांगन

जांजगीर चांपा (सलवा जुडूम मीडिया) आपकी बता दे कि 19 नवम्बर को स्व. गुरुजी मोहित राम यादव की पुण्यतिथि में शामिल होने से पूर्व स्वामी सुरेंद्र नाथ जी ने, सलवा जुडुम न्यूज चैनल से भेट वार्ता की, जिसमें चांपा की प्राचीन धरोहर अखाड़ा तोड़े जाने के विषय पर स्वामी सुरेंद्रनाथ जी ने चांपा डोंगाघाट हनुमान मंदिर के महंत सहित स्वयंभू समिति सदस्यों के द्वारा विवादास्पद भूमिका को लेकर बातचीत की उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बहुत ही दुखद है कि- 70 वर्षों से काबीज श्री हनुमान व्यायाम शाला को षड्यंत्र पूर्वक तोड़ा गया, शक्ति के देवता श्री हनुमान जी के मंदिर के समक्ष, संत श्री बालमुकुंद जी (तपसी महाराज) के निर्देश पर स्व गुरुजी मोहित राम यादव द्वारा 70 वर्ष पूर्व निर्माण किया गया था। श्री हनुमान व्यायाम शाला अखाड़ा को बिना सूचना दिए, गैर कानूनी ढंग से ध्वस्त कर दिया गया है और पता चला है कि यह कृत्य व्यायाम शाला का ताला तोड़कर किया गया है। वहां पर हनुमान जी की मूर्ति स्व. गुरुजी मोहित राम यादव की मूर्ति सहित व्यायाम सामग्रियों को नुकसान पहुंचाया गया है। उसे अपमानित ढंग से हटा दिया गया है इससे पहलवान सहित धार्मिक जन भावनाओं को ठेस पहुंची है, वहीं प्राचीन धरोहर को नष्ट किए जाने से अखाड़ा परंपरा से जुड़े हुए लोगो की भावना आहत हुई है। यह सीधा-सीधा धर्म विरोधी आपराधिक कृत्य है, ऐसे कृत्यों की शिकायत किये जाने के एक माह बीत जाने के बाद भी, इस पर अभी तक पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं किया है, यह पुलिस की उदासीनता का बहुत बड़ा उदाहरण है‌।

स्वामी सुरेंद्र नाथ जी ने कहा कि, 19 नवंबर स्व गुरुजी मोहित राम यादव के 20 वीं पुण्यतिथी पर, हम सभी चांपा पहुंचकर श्रद्धांजलि सभा में शामिल होंगे, साथ ही सभा के पश्चात थाने पहुंचकर जन भावनाओं के विपरीत अखाड़ा तोड़ने के अपराध पर पुलिस थाने से निवेदन कर जानकारी प्राप्त करेंगे कि इस कृत्य के विरुद्ध, पुलिस-प्रशासन ने क्या कार्यवाही की। स्वामी सुरेंद्र नाथ जी ने कहा कि कोई भी मंदिर स्थल सार्वजनिक व धार्मिक सरोकार का स्थल होता है और ऐसे स्थल पर यदि सार्वजनिक रूप से अखाड़ा का संचालन हो रहा था तो, उसे बिना सूचना दिए तोड़ा जाना अपराध है, स्वामी जी से यह पूछे जाने पर कि वह भूमि संत निवास हनुमान मंदिर के नाम पर दर्ज है तो उन्होंने कहा, कि भूमि सार्वजनिक प्रयोजन के लिए ही है, और अखाड़ा भी पूर्ण रूप से सार्वजनिक प्रयोजन के लिए संचालित था और इसके निर्माण में श्री हनुमान व्यायाम शाला सेवा समिति के सदस्य गण अपनी पूंजी श्रम और समय लगाकर इसे स्थापित किया कर, संचालित कर रहे थे। ऐसे में इसे तोड़ा जाना, मंदिर के महंत की तनाशाही रवैया को दर्शाता है। यदि मन्दिर को ज़मीन की आवश्यकता थी तो, उन बड़े लोगों से प्राप्त करते, जिसे उन्होंने ने लीज पर लेकर गैर कानूनी ढंग से कब्जे में रखा है, काश कि वे लोग अपनी ज़मीन मन्दिर को दान देकर बड़ा हृदय दिखाते, इसके बजाय मन्दिर की ही सम्पत्ति को व्यवसाय का केंद्र बना लिया है, इससे यह संदेश जाता है कि इन लोगों को जनता से कोई सरोकार नहीं है, और न ही धर्म के प्रति कोई श्रद्धा है, इनका व्यावसायिकता पर अधिक ध्यान है।

स्वामी सुरेंद्रनाथ जी ने कहा कि मंदिर की दान संपत्तियों और सर्वराकार ट्रस्ट नियुक्ति को लेकर भी यदि विवाद न्यायालय में विचाराधीन है, तो ऐसे में महंत और समिति के सदस्यों को किसी प्रकार का तोड़फोड़ निर्माण कार्य नहीं करना चाहिए, और न ही यहां के ट्रस्ट गठन के लिए प्रशासन को कोई पहल करना चाहिए, यदि ऐसा हो रहा है तो यह प्रशासन के रवैये पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है, जब तक न्यायालय का आदेश न आए तब तक इस स्थल पर किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य को स्थगित रखना चाहिए‌‌। इस अखाड़े को तोड़कर जनभावनाओं को बहुत आघात पहुंचाया गया है। आगे की कार्यवाही के लिए , कुश्ती अखाड़ा परिषद माननीय न्यायालय की शरण लेगा। ये धर्म की लड़ाई है, भावनाओं की लड़ाई है, अखाड़ा इसे शालीनता से लड़ेगा। काश खेल के मैदान कुश्ती अखड़ा को ध्वस्त करने के बजाय इसे बढ़ावा देते तो, इनकी गरिमा बढ़ती, और नशे में डूबते युवाओं में खेल भावना जागृत होती तो युवाओं का कल्याण होता।