छ ग चीफ रिपोर्टर भूपेंद्र देवांगन
रायपुर (सलवा जुडूम मीडिया) छत्तीसगढ़ में विगत कई वर्ष पूर्व हुए शिक्षा कर्मी भर्ती में भारी भ्रष्टाचार उजागर होने लगा है। अपात्र लोगों को नौकरी मिलने की लगातार शिकायतें सामने आ रही है। अपात्र लोगों के द्वारा फर्जी दस्तावेज शैक्षणिक योग्यता, अनुभव प्रमाण पत्र एवं खेलकूद जैसे प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर बोनस अंक बढ़ा कर नौकरी हासिल कर लिए हैं जिसकी सूचना के अधिकार एवम् संबंधित संस्थानों से जारी दस्तावेजों की जांच उपरांत फर्जी होना पाया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला फिर से सामने आया है जहां एक व्यक्ति के द्वारा शिक्षाकर्मी वर्ग 3 की भर्ती हेतु आवेदन प्रस्तुत करने पर आवेदन पत्र के साथ शैक्षणिक प्रमाण पत्र के साथ-साथ शैक्षणिक अनुभव प्रमाण पत्र और दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर अंक में वृद्धि करा ली गई और वह अपात्र होते हुए भी नौकरी के लिए चर्या गया। हम बात कर रहे हैं जांजगीर चांपा जिले के जनपद पंचायत बलौदा अंतर्गत प्राथमिक शाला केराकछार की, जहां पर कार्यरत शिक्षाकर्मी वर्ग – 3 मनहरण लाल जांगड़े पिता नन्हे लाल जिनके द्वारा शिक्षाकर्मी भर्ती के लिए वर्ष 2005 में आवेदन किया गया था। भर्ती में चयन होने के लिए आवेदनकर्ता द्वारा आवेदन पत्र में विकलांगता होने एवं अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है। इसकी शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता के द्वारा सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग, मंत्रालय महानदी भवन रायपुर को करते हुए शिक्षा कर्मी मनहरण लाल जांगड़े को बर्खास्त करने एवं कानूनी कार्रवाई करने पत्र लिखा है। शिकायतकर्ता के अनुसार मनहरण लाल जांगड़े द्वारा शिक्षाकर्मी भर्ती में फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी पाने जानकारी प्राप्त हुई थी जिस पर उनके द्वारा पुष्टि करने के लिए सूचना के अधिकार के तहत सं विभाग से दस्तावेज की मांग की गई। विभाग द्वारा सूचना के अधिकार के तहत दिए गए सभी दस्तावेजों के अवलोकन करने पर जानकारी मिली कि आवेदनकर्ता शिक्षाकर्मी मनहरण लाल जांगड़े द्वारा भर्ती हेतु जो आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया है उसमें उनके द्वारा आवेदन पत्र की कंडिका 14 के संलग्न दस्तावेजों के कंडिका 6 में अनुभव प्रमाण पत्र जमा किया जाना लिखा है। लेकिन सूचना के अधिकार द्वारा प्राप्त जानकारी में किसी भी प्रकार का अनुभव प्रमाण पत्र संबंधित विद्यालय प्राथमिक एवम् पूर्व माध्यमिक शाला अगारखार, विकासखंड – बलौदा, जिला जांजगीर चांपा से जारी नहीं किया जाना बताया जा रहा है। इसके अलावा शिकायतकर्ता का यह भी कहना है कि शिक्षा कर्मी मनहरण लाल जांगड़े द्वारा दिए गए आवेदन पत्र की कंडिका 11 में 70 प्रतिशत कान से विकलांगता होने का जो प्रमाण पत्र दिया है वह संदेह के घेरे में है क्योंकि मनहरण लाल जांगड़े पूर्ण रूप से स्वस्थ है और दोनों कानों से अच्छी तरह सुन सकता है। शिकायतकर्ता ने दावा किया है कि यदि मनहरण लाल जांगड़े का शारीरिक परीक्षण कराया जाए तो निश्चित ही उनके द्वारा प्रस्तुत विकलांगता प्रमाण पत्र भी फर्जी निकलेगा। शिकायतकर्ता ने सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र देते हुए शिक्षा कर्मी वर्ग 3 मनहरण लाल जांगड़े द्वारा दिए गए फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र पर शासन / प्रशासन को अंधेरे में रखते हुए फर्जी ढंग से नौकरी प्राप्त करने का गंभीर आरोप लगाया है। जिससे शासन को आर्थिक क्षति भी हो रही है। इस मामले में प्राप्त सभी दस्तावेजों का सूक्ष्मता पूर्ण जांच करते हुए दोषी पाए जाने पर तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने एवं आज दिनांक तक शासन से प्राप्त राशि को भू – भटक की दर से वसूली करते हुए दंडात्मक कानूनी कार्रवाई करने निवेदन किया है।
आवेदन पत्र में दिया अनुभव और जांच प्रश्नोत्तरी में लिखा नहीं….
अब हैरानी वाली बात तो यह है कि मनहरन लाल द्वारा वर्ष 2005 में जब शिक्षाकर्मी भर्ती हेतु आवेदन दिया था उस समय उनके द्वारा आवेदन पत्र के कंडिका क्रमांक 14 में कालम 6 में अनुभव प्रमाण पत्र संलग्न करने सही टिक लगाया गया है। लेकिन मामले की शिकायत और जांच जैसे ही शुरू हुई तब उनके द्वारा जांच प्रश्नोत्तरी 06/06/2022 को कालम 5 में आपके द्वारा आवेदन करते समय अनुभव प्रमाण पत्र संलग्न किया गया था में उन्होंने नहीं लिखा है। यदि उनके द्वारा अनुभव प्रमाण पत्र जमा नहीं किया गया है तो फिर आवेदन पत्र में अनुभव प्रमाण पत्र देने का जिक्र क्यों किया गया? और उनके द्वारा उनकी सेवा नियुक्ति में प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पत्र क्या फर्जी है? और यदि फर्जी है तो इसे जारी करने वाला वह कौन व्यक्ति है? इसकी जांच होनी चाहिए। इसके अलावा क्या मनहरण लाल को भर्ती में अनुभव प्रमाण पत्र का लाभ दिया गया है? यदि हां तो इसका भी जांच जिम्मेदार विभाग को करनी चाहिए और इस पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। शिकायतकर्ता ने पत्र के माध्यम से यह भी कहा है कि अगर मेरे द्वारा दिए गए शिकायत पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं होती है तब उस स्थिति में न्यायालय की शरण में जाने विवश होगा। अब देखना होगा कि इस मामले में जिम्मेदार विभाग के अधिकारी किस तरह की कार्रवाई करते हैं।