*दोषियों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध करने होगी शिकायत दर्ज…* *क्या अब सरपंच, सचिव, पूर्व सरपंच, इंजीनियर सहित सभी जांच अधिकारियों को जाना पड़ेगा जेल?*,,,
छ ग चीफ ब्यूरो प्रमुख भूपेंद्र देवांगन
सक्ती (सलवा जुडूम मीडिया) आपको बता दे कि एक फिल्म आप सभी ने देखी होगी जिसका नाम है “मिस्टर इंडिया”। इस फिल्म के कलाकार अनिल कपूर को एक चमत्कार करने वाली घड़ी मिलती है जिसे वह अपने कलाई में पहन कर बटन दबाने से वह गायब हो जाता था और तभी दिखता था जब उसके शरीर पर या तो लाल रंग की रोशनी पड़ती थी या फिर एक चमत्कारी चश्मा से दिखाई देता था। ठीक इसी तरह सक्ती जिले में भी “मिस्टर इंडिया” की तरह 15.80 लाख रुपए का एक स्कूल भवन बनाया गया है जो किसी को दिखाई नहीं देता, वह दिखता है तो सिर्फ गांव के सरपंच, सरपंच पति, ग्राम पंचायत सचिव, निर्माण कार्य कराने वाले विभाग के इंजीनियर एवं चंद जांचकर्ता अधिकारियों को। पूरा मामला सक्ती जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत पोरथा का है।
आपको बता दें सक्ती जिले में भ्रष्टाचार खूब फल – फूल रहा है। यहां कई काम कागजों में ही पूरे किए जा रहे हैं और शासन को चुना लगाने का काम कर रहे हैं। शिकायत के बाद भी जिम्मेदार विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी अपने कर्तव्य के प्रति बेपरवाह हो चुके हैं और दोषियों को बचाने में लगे हुए है जिसकी बानगी भी देखने को मिल रही है। यही कारण है कि भ्रष्टाचारियों के हौसले दिन प्रतिदिन बुलंद नजर आ रहे हैं। सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार सक्ती जनपद अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत में देखने को मिल रहा है। ताजा मामला ग्राम पंचायत पोरथा का है। ग्राम पंचायत पोरथा में रूर्बन मिशन योजना के तहत आश्रित ग्राम डोंगिया में संचालित प्राथमिक शाला में वर्ष 2020/21 में अतिरिक्त भवन निर्माण के लिए 15.80 लाख रुपए की स्वीकृति मिली। इस कार्य को करने के लिए ग्राम पंचायत को एजेंसी बनाया गया था। ग्राम पंचायत सरपंच मधु श्याम राठौर द्वारा इस कार्य को कराया भी गया। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि यह कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया और सिर्फ कागजों में निर्माण कर दिया गया जबकि धरातल पर आज भी देखें तो निर्माण के नाम पर एक ईट भी नहीं रखी गई है।
जब इस मामले की जानकारी ग्राम पंचायत के पंचों को हुई तब उन्होंने इसकी जांच के लिए आवाज उठाई। वही ग्राम पोरथा निवासी भानु प्रताप चौहान द्वारा भी इस मामले की उच्च स्तरीय शिकायत करते हुए जांच कर कार्रवाई करने के लिए पत्राचार किया गया। पंचों की शिकायत एवं सामाजिक कार्यकर्ता के पत्र मिलने के बाद तत्कालीन जनपद सीईओ सक्ती द्वारा उच्च अधिकारियों के आदेश के बाद जांच टीम गठित करते हुए जांच उक्त निर्माण कार्य की जांच करने टीम गठित किया गया जिसमें सबइंजीनियर (RES, सक्ती) जयदीप घोष, यशवंत राज सिंह मांडेलकर, रविंद्र पैकरा, सहायक लेखा परीक्षण एवम् करारोपण अधिकारी जितेंद्र बरेठ, अशोक जाटवार, सहायक विकास विस्तार अधिकार निखिल कश्यप एवं अनिल नोरगे को शामिल किया गया जिनके द्वारा मौके की जांच करने के लिए सूचना दी गई।सूचना प्राप्त होने के बाद ग्राम पंचायत सरपंच मधु श्याम राठौर, पूर्व सरपंच श्याम राठौर, पंचगण, ग्राम पंचायत सचिव सहित शिकायतकर्ता एवं जांच अधिकारी मौके पर पहुंचे। मौके पर पहुंचने के बाद जांच अधिकारियों ने जांच के दौरान किसी भी तरह के स्कूल भवन निर्माण होना नहीं पाया। लेकिन जांच टीम द्वारा जांच रिपोर्ट बनाई गई तो ये सभी अधिकारियों ने भी चौंकाने वाली रिपोर्ट विभाग के अधिकारी को प्रस्तुत कर दिए। जांच रिपोर्ट के अनुसार उक्त प्राथमिक शाला भवन परिसर में 15 लाख 80 हजार रुपए के स्कूल भवन निर्माण होने की बात को सही बताते हुए शिकायत को झूठा करार दे दिया।
आपको बता दे वर्तमान में भी प्राथमिक शाला डोंगिया में स्कूल भवन का निर्माण नहीं किया गया है जबकि अधिकारियों ने इस मामले में शिकायतकर्ताओं को ही झूठा साबित करते हुए आरोपियों को क्लीन चिट देने का काम किया है। इस तरह अपराधियों को बचाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों ने भी अपने पद एवं अधिकार का दुरुपयोग करते हुए शासन को गुमराह कर दोषियों को बचाने का कार्य किया गया जो कि एक शासकीय सेवक के कर्तव्य एवं आचरण के साथ-साथ सिविल सेवा आचरण अधिनियम के भी उल्लंघन को स्पष्ट करता है।
*एक मुश्त निकाली गई पूरी राशि पर उठने लगा सवाल*
प्राथमिक शाला डोंगिया में स्कूल भवन निर्माण के लिए स्वीकृत 15 लाख 80 हजार रुपए की राशि को आहरण करने के लिए ग्राम पंचायत प्रस्ताव पंजी में दिनांक 12/09/2020 को दर्ज किया गया है। इस प्रस्ताव में स्वीकृत 15.80 लाख रुपए को एक मुश्त निकालने प्रस्ताव की गई है, जबकि किसी भी कार्य के लिए प्रारंभिक फिर कार्य अनुसार मूल्यांकन होने के साथ – साथ तीन या चार किश्तों में राशि आहरण होना चाहिए था। इससे यह स्पष्ट होता है कि बिना काम के राशि को गबन करने फर्जीवाड़ा किया गया है।
*बिना निर्माण के इंजीनियर ने किया मूल्यांकन?*
इस पूरे मामले में सरपंच सचिव के अलावा इंजीनियर की भी कार्यशैली पर सवाल उठने लगा है क्योंकि बिना निर्माण कार्य के राशि का आहरण किया गया है। किसी भी कार्य के लिए स्वीकृत राशि का आहरण करने के पूर्व संबंधित जिम्मेदार इंजीनियर द्वारा कार्य का मूल्यांकन किया जाता है, फोटो ग्राफी भी की जाती है जो चार अलग – अलग स्तर में होता है और इंजीनियर द्वारा हुए कार्य के मूल्यांकन पश्चात ही मेजरमेंट बुक भरी जाती है जिसके बाद राशि भुगतान की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती है। लेकिन इस पूरे मामले में स्पष्ट हो चुका है कि भवन बना ही नहीं है तो आखिरकार इंजीनियर द्वारा किस चीज का मूल्यांकन किया गया और राशि कैसे आहरण की गई, इस पर भी जांच होनी चाहिए।
*स्कूल में पदस्थ शिक्षकों से भी लिया गया बयान…*
सूत्रों की माने तो प्राथमिक शाला डोंगिया में पदस्थ शिक्षकों से भी स्कूल भवन निर्माण के संबंध में जांच टीम द्वारा पूछताछ की गई थी जिसमें जांच अधिकारियों को शिक्षकों ने किसी भी तरह के भवन निर्माण नहीं होने की जानकारी दी है। सूत्र यह भी बता रहा है कि कुछ दिनों पहले भी दोबारा इस मामले की जांच की गई जिसमें भी शिक्षकों द्वारा किसी भी तरह के भवन निर्माण के होने से इनकार किया है। इससे स्पष्ट है कि शिकायतकर्ताओं द्वारा की गई शिकायत सही साबित हो रही है और उनके शिकायत पर सच्चाई की मुहर भी लग चुकी है।
*सरपंच सहित जांच टीम में शामिल सभी दोषी अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने होगी शिकायत*
इस पूरे मामले में जांच अधिकारियों के साथ – साथ जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों ने भी सभी दोषियों को बचाने का कार्य किया है जिसके कारण अब तक शिकायतकर्ताओं को न्याय नहीं मिल पाया है। अब इस मामले को लेकर जल्द ही कानूनी दंडात्मक कार्रवाई करने एवं सभी दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करते हुए जेल भेजने की कार्रवाई करने मांग की जाएगी।
*दोषियों को बचाने की चाह में अब अधिकारियों ने खुद को भी फंसा डाला?*
इस पूरे मामले में जिन अधिकारियों को जांच का जिम्मा सौंपा गया था उन अधिकारियों ने भी अपने कर्तव्य एवं जिम्मेदारियां का ईमानदारी से निर्वहन नहीं किया बल्कि दोषियों को बचाने खुद की कलम फंसा डाली और एक अपराधी के साथ-साथ वह भी इस मामले में अपराधी बनते हुए नजर आ रहे हैं। अब स्पष्ट हो चुका है कि इन अधिकारियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा का मामला दर्ज होगा जो की सरपंच और सचिव ने मिलकर किया था। इसके अलावा शासकीय सेवक होने के कारण शासकीय सेवक सिविल सेवा आचरण अधिनियम अंतर्गत भी इन पर कार्रवाई हो सकती है और जेल भी जाना पड़ सकता है।
अब देखना होगा कि इस पूरे मामले में सभी भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कब शिकायत पर होगी और इन पर कब एफआईआर दर्ज करते हुए ने जेल की सलाकों में भेजा जाएगा? या फिर अपने पहुंच एवं पद का फायदा उठाते हुए इस मामले से अपने आप को बचा लेंगे? यह तो आगे ही पता चलेगा।