कोरबा जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने किया जांच में घोटाला? क्या बीईओ है मामले का मास्टर माइंड?

कोरबा जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने किया जांच में घोटाला? क्या बीईओ है मामले का मास्टर माइंड?
कोरबा जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने किया जांच में घोटाला? क्या बीईओ है मामले का मास्टर माइंड?

सिटी रिपोर्टर केशव साहू

कोरबा (सलवा जुडूम मीडिया) आपको बता दे कि कोरबा। जिले में वर्ष 2007 में हुए शिक्षाकर्मी भर्ती में हुई गड़बड़ी को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी अब आरोपों से घिरते हुए नजर आ रहे हैं। अधिकारियों के ऊपर आरोप लगाया जा रहा है कि जब 10 लोगों की सूची जनपद कोरबा से बीईओ कार्यालय कोरबा को भेजी गई तो सिर्फ चार लोगों को पर ही कार्रवाई की क्यों हुई? वहीं 6 लोगों को अभयदान किसने दिया? जनपद सीईओ और जिला शिक्षा अधिकारी की बातों को सुनकर तो यह लग रहा है कि इस पूरे प्रकरण का मास्टरमाइंड कोरबा बीईओ संजय अग्रवाल है। अब इस मामले में पुलिस जांच में ही पर्दा उठने की संभावना नजर आ रही है। वैसे भी कानून के हाथों कोई भी अपराधी भाग नहीं सकता।

जांच में सुलगते सवाल… पूरे जांच में दस में से केवल चार शिक्षकों पर ही कार्रवाई की गई जिसके बाद ही इस पूरे मामले में हुई जांच पर सवाल सुलगना शुरू हो गया और सवाल उठना लाजमी भी है। सूत्रों की माने तो जनपद कार्यालय कोरबा से 10 शिक्षकों की जानकारी दी गई थी तो क्या कारण था कि 10 में से केवल चार शिक्षकों पर ही कार्रवाई की गई? सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या बांकी के छह शिक्षकों के जो दस्तावेज जनपद कार्यालय से प्रास हुए हैं वह सही है? दस्तावेज सही है इस बात की पुष्टि किस अधिकारी के द्वारा की गई? जब एक प्रधान पाठक के दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे की जानकारी पर उसे निलंबित कर दिया गया तो महिला प्रधान पाठक पर कार्रवाई की गाज क्यों नहीं गिराई गई? क्या इस मामले में अधिकारियों ने अपने पद एवं अधिकार का दुरुपयोग करते हुए माया फेर कर मन मुताबित माया मिलते ही उन पर कृपा बरसा डाली? इस पूरे मामले में जनपद सीईओ कोरबा इंदिरा भगत का कहना है कि वर्ष 2007 में हुए शिक्षक भर्ती से संबंधित दस्तावेज शिक्षकों के वर्ष 2018 में संविलियन के बाद संबंधित कार्यालय विकासखंड शिक्षा अधिकारी कोरबा को स्थानांतरित कर दिया गया था। विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा पत्राचार के माध्यम से 10 शिक्षकों की जानकारी मांगी गई थी जो कार्यालय द्वारा दी गई थी जिसमें दो शिक्षकों के दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे। कार्यालय में समय समय पर बाबुओं के शाखा प्रभार में परिवर्तन होने के कारण दस्तावेज को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पा रही है कि किस समय से यह दस्तावेज अप्राप्त है। उन्होंने संबंधित शाखा के बाबू शासकीय कार्य से बाहर होने के कारण पूर्ण जानकारी देने में असमर्थता भी जाहिर की गई।

क्या है पूरा मामला… कोरबा जिले में वर्ष 2007 में जनपद स्तर पर शिक्षकों की भर्ती हुई थी जिसमे जनपद पंचायत कोरबा भी शामिल रहा है। इस शिक्षक भर्ती में कई अपात्र लोगों को चयनित किया गया था। अपात्र लोगों के द्वारा फर्जी अंकसूची, फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र सहित खेलकूद एवम् बीएड, डीएड की फर्जी डिग्री लगाकर अंक बढ़ाए गए जिससे इनका नंबर ज्यादा होने के कारण उनका चयन कर दिया गया। वहीं जो पात्र थे उनको निराशा मिली। भर्ती होने के बाद ही कई लोगों के दस्तावेजों पर शुरू से ही सवाल उठने लगे थे। लेकिन राजनीतिक पहुंच एवम् धनबल के कारण इन लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पूरे चयन प्रक्रिया में चयन समिति की सबसे ज्यादा गड़बड़ी सामने आई है जिसका रिकॉर्ड अब जनपद कार्यालय से गायब भी हो चुका है। ऐसे में यह और भी साबित होता है कि चयन समिति द्वारा किस तरह के भ्रष्टाचार किए गए थे। हाल ही में जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा द्वारा 2007 में भर्ती हुए चार शिक्षकों को निलंबित करने का आदेश जारी किया है और उन पर आरोप पत्र जारी करते हुए उनसे जवाब भी मांगा है। विकासखंड शिक्षा अधिकारी कोरबा कार्यालय द्वारा जारी पत्र के आधार पर जब जनपद कोरबा से जवाब दी गई तो वह बहुत ही चौकाने वाली निकली। जनपद कार्यालय से 10 शिक्षकों की जो जानकारी दी गई थी उसमें दो प्रधान पाठकों के दस्तावेज कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने की भी जानकारी दी गई थी। लेकिन इस जानकारी के मिलने के बाद आगे की कार्रवाई करते हुए सिर्फ चार शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया।

क्या बीईओ अग्रवाल हैं खेल का मास्टरमाइंड… इस पूरे प्रकरण में बीईओ संजय अग्रवाल की भूमिका सबसे ज्यादा संदिग्ध नजर आ रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि जनपद पंचायत कार्यालय कोरबा से 10 शिक्षकों की सूची विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय कोरबा को भेजी गई थी जिसमें दो शिक्षकों के दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं होने का जिक्र किया गया था। ऐसे में सिर्फ चार शिक्षकों की ही जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारी डीईओ को दी गई जिसकी पुष्टि स्वयं जिला शिक्षा अधिकारी उपाध्याय ने की है। बीइओ ने आखिर चार शिक्षकों की ही सूची क्यों भेजी यह अब सवालों में घिरा है। सूत्रों की माने तो सभी दसों शिक्षकों के दस्तावेज गलत पाए गए थे जिसमें से दो के दस्तावेज ही नहीं थे फिर भी आधी अधूरी कार्यवाई की गई। इस संदर्भ में जब विकासखंड शिक्षा अधिकारी संजय अग्रवाल से जानकारी चाहने कार्यालय पहुंचे तो उपस्थित कर्मचारियों से जानकारी मिली की बीइओ किसी कार्य से रायपुर गए हुए हैं। जब उनके नंबर पर संपर्क किया गया तो संपर्क नहीं होने के कारण उनका पक्ष नहीं मिल सका। सुनने में यह भी आ रहा है कि जल्द ही इस मामले में एक बड़ी कार्रवाई को लेकर थाने में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है और सभी दोषियों के खिलाफ अपराध पंजीकृत करते हुए कड़ी कार्रवाई करने की बात कही जा रही है।

तामेश्वर उपाध्य्य,डीईओ (कोरबा) मुझे सिर्फ चार लोगों की सूची मिली थी – जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा तामेश्वर उपाध्याय से संपर्क कर जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि बीईओ कार्यालय से मुझे चार शिक्षकों की सूची प्राप्त हुई थी जिसमें से चारों के ऊपर निलंबन की कार्रवाई की गई है। चारों के ऊपर आरोप पत्र जारी कर दिया गया है, जवाब मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। कानूनी दंडात्मक कार्यवाही के संदर्भ में पूछने पर जानकारी देते हुए बताया कि आरोप तय होने के बाद बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाएगी। बर्खास्तगी के बाद समिति की बैठक में कानूनी दंडात्मक कार्यवाही के लिए निर्णय ली जाएगी। 10 लोगों की सूची की जानकारी मुझे नहीं है और यदि 10 लोगों की सूची बनाई गई थी तो हो सकता है कि बांकी 6 लोगों के दस्तावेज को लेकर बीईओ संतुष्ट होंगे इसलिए सिर्फ चार लोगों की सूची मुझे भेजी गई थी।