छ ग चीफ ब्यूरो प्रमुख भूपेंद्र देवांगन
न्यूज़ चांपा (सलवा जुडूम मीडिया) आपको बता दे कि भगवान भुवन भास्कर यानी कि सूर्यदेव । सूर्यदेव का अद्भुत मंदिर एक ओर उड़ीसा राज्य के कोणार्क में स्थित हैं तो वही दूसरा पाकिस्तान के मुल्तान में और तीसरा सूर्य मंदिर कालपी में हैं । बुंदेलखंड क्षेत्र की तपोभूमि कालपी उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में पड़ता हैं , यहां के मदरा लालपुर गांव में यमुना नदी के किनारे स्थित सैकड़ों साल पुराने सूर्य मंदिर की हूबहू बनावट कोणार्क के सूर्य मंदिर जैसी हैं ।
*मंदिर स्थापना कृष्ण के पौत्र साम्ब ने किया था ।*
पौराणिक मान्यताएं हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र साम्ब ने इस मंदिर की स्थापना की थी । मंदिर के पास ही सूरज कुंड भी हैं । महान ज्योतिषाचार्य वाराह मिहिर ने यहीं पर विश्व प्रसिद्ध सूर्य सिद्धांत का प्रतिपादन किया था ।
*आस्था और विश्वास ! प्रत्येक रविवार को क्षय रोगी स्नान करने आते हैं , शारीरिक ब्याधि दूर होता हैं ।*
महीने के प्रत्येक रविवार को यहां बड़ी संख्या में क्षय रोगी स्नान करते हैं और भगवान भुवन भास्कर को जल , दूध , दही घी और शहद अर्पित करते हैं । मान्यता हैं कि रविवार को सूर्य उपासना से यहां आये कुष्ठ रोगियों का कर्ल्याण और शारीरिक ब्याधि दूर हो जाता हैं हैं ।
*कहा जाता हैं कि दुर्वासा ऋषि ने कुष्ठ रोगी होने का श्राप दे दिया था ।*
धार्मिक और आध्यात्मिक शास्त्रों के मुताबिक़ भगवान श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब ने द्वारकापुरी में आए रुद्र अवतार ऋषि दुर्वासा के रूप व दुबले-पतले शरीर को देख उनकी नकल करने लगे । अपमानित दुर्वासा मुनि ने साम्ब को कुष्ठ रोगी होने का शाप दिया । भविष्य पुराण के अनुसार, इस श्राप से मुक्ति के लिए भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र साम्ब ने यमुना नदी के किनारे सूर्य उपासना की थी । कन्नौज के इतिहास पर आधारित पुस्तक ‘ कान्यकुब्ज महात्म्य ‘ में भी यह बात वर्णित हैं कि ऋषि दुर्वासा के शाप के कारण साम्ब कुष्ठ रोगी हो गए थे । देवताओं की सलाह पर कन्नौज राज्य के मकरंज नगर में स्थित सूर्य कुंड में स्नान कर साम्ब को शाप से मुक्ति मिली थी। उनका शरीर पूरी तरह निरोग हो गया था । शाप से मुक्ति के बाद राजा साम्ब ने यमुना नदी के तट पर काल प्रिय नाथ सूर्यदेव का मंदिर बनवाया था । इसके बाद नगर का नाम काल प्रिय पड़ा , जो कि बाद में कालपी के नाम से जाना जाने लगा । उन दिनों कन्नौज राज्य की दक्षिणी सीमा कालपी तक फैली थी ।
*नागर शैली में बना हैं यह अद्भुत सूर्य मंदिर ।*
कालपी का यह सूर्य मंदिर चूने और लाल पत्थर से बना हैं । इसके बनावट की शैली नागर शैली हैं । मंदिर के नाम पर अब यहां सिर्फ कुछ सूर्य मठिया ही बची हैं । पहले यहां भगवान सूर्य की प्रतिमा थी । बुंदेलखंड के इतिहासविद डॉ. चित्रगुप्त कहते हैं कि कालांतर में यमुना नदी में आई बाढ़ के चलते प्रतिमा बह गई हों या फिर संभव हो कि मुस्लिम शासकों द्वारा मंदिर को क्षति पहुंचाई गई हो ।
*धरती का बैकुंठ हैं जगन्नाथ मंदिर और सबकी आस्था है आज़ भी कोर्णाक पर ।*
प्राचीनकाल से ही ऐतिहासिक , धार्मिक ,आध्यात्मिक और पुरातात्विक मान्यताओं से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ की निकटवर्ती सीमा पर लगे हुए तीर्थस्थल जगन्नाथ पुरी की अलग मान्यता हैं । जगन्नाथ पुरी और कोर्णाक मंदिर से लौटे दंपत्ति शशिभूषण सोनी तथा उनकी अर्द्धांगिनी श्रीमति शशिप्रभा सोनी ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में समुद्र के तट पर जगन्नाथ पुरी एक पवित्र धाम हैं । यह चार धामों में से एक हैं अन्यान्न्य तीन धाम हैं बद्रीनाथ रामेश्वरम् और द्वारिकापुरी ।जगन्नाथ मंदिर काम्प्लेक्स दस एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ हैं । मुर्तियां नीम के वृक्ष से निर्मित हैं । जगन्नाथ जी के नेत्र वृताकार, बलभद्र और सुभद्रा जी की अंडाकार आकृति हैं।प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया को रथयात्रा पुरी से ही निकलती हैं । तीनों प्रतिमाओं को सुसज्जित कर बिल्कुल नए वेशभूषा, गाजे-बाजे के साथ जयघोष करते हुए निकाली जाती हैं । इसी तरह की मान्यता कोर्णाक मंदिर पर भी हैं ।