छ ग चीफ ब्यूरो प्रमुख भूपेंद्र देवांगन
जांजगीर चांपा (सलवा जुड़ूम मीडिया) भगवान श्रीकृष्ण की लीला अलौकिक हैं और इसके जन्मदिन यानि कि जन्मोंसव को पिछले सप्ताह अलौकिक तरीके से मनाया गया । जांजगीर-चांपा जिला सहित देश-विदेश के कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी पर्व बहुत ही हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया और हो भी क्यों ना हिंदू धर्म के सबसे श्रद्धालु भक्त भगवान श्रीरामचन्द्र जी के समान श्रीकृष्ण भी हजारों-करोड़ों भारतवासियों के सबसे प्रिय तथा नटखट देव हैं । आज़ हमने अपने जीवन में संसारिक सुख-सुविधा के सारे संसाधन तो जुटा लिए हैं लेकिन यदि हम अपने हृदय को टटोलें तो यह बात पायेंगे कि हममें से ज्यादातर लोगों ने भगवान श्रीकृष्ण की लीला का आस्वादन किया ही नहीं हैं । उक्त उद्गार सुप्रसिद्ध कथावाचक पंडित श्रीकांत तिवारी, सारा गांव वाले ने ग्राम मुड़पार अफरीद में श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन विस्तारपूर्वक श्रद्धालु भक्तों को कहा ।
*कंस के कारागार में परब्रह्म परमात्मा श्रीकृष्ण का प्राकट्य। *
आचार्य श्रीकांत तिवारी जी ने कहा कि कृष्ण जन्म के बाद कंस के कारागार से आधी रात को गरजते-चमकते मेघ में बाहर निकलना , बाढ़ से उफनती हुई यमुना नदी की तीव्र जलधारा में धीरे-धीरे सिर पर रखी टोकरी में कृष्ण-कन्हैया को सुरक्षित तैरकर पार करना , कृष्ण की कालिया दाह में नाग से लड़ना राक्षसों का संहार करना भगवान श्रीकृष्ण की अलौकिक दर्शन लीला ही हैं । भारतवर्ष एक ऐसा देश हैं जहां हर वर्ष श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता हैं इस अवसर पर श्रीकृष्ण लीला मन-मस्तिष्क पर जीवंत हो उठता हैं । सप्त-दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन स्वर्गीय अभिषेक शर्मा ( हनी ) पिता विनोद शर्मा घोरपुरा वाले मुंगेली के वार्षिक श्राद्ध निमित्त उनकी पुत्री श्रीमति आकांक्षा तिवारी द्वारा गौरव ग्राम मुड़पार में दिनांक 27 अगस्त अगस्त से 3 सितम्बर , 2024 तक किया जा रहा हैं । कृषक दंपत्ति कृष्ण कुमार पाण्डेय – श्रीमति कुसुम पाण्डेय के सुपुत्र धमेंद्र पाण्डेय तथा उनकी अर्द्धांगिनी श्रीमति ममता पाण्डेय मुख्य यजमान हैं ।
*भगवान श्रीकृष्ण से सीखना चाहिए, मित्रता निभाने की कला शशिभूषण सोनी ने कथा स्थल पहुंच आचार्य श्री का शाल, श्रीफल भेंटकर स्वागत किया ।*
कथा के अंतिम दिन भागवताचार्य पंड़ित तिवारी महराज ने भगवान श्रीकृष्ण और गरीब सुदामा प्रसंग का विस्तार से वर्णन किया । उन्होंने कहा कि सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी और छोटे-बड़े के भेद को समाप्त करती हैं और हम सबको यह बात बताती हैं कि दोस्ती में रिश्तों की अहमियत होनी चाहिए । उन्होंने कहा कि सुदामा बहुत गरीब मनुष्य लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल सखा थे । श्रीकृष्ण जी ने भी अपनी मित्रता के बीच कभी धन-संपत्ति को आड़े नहीं आने दिया । उन्होंने यह भी कहा कि भगवान श्रीकृष्ण महाभारत के युद्ध काल में अर्जुन और द्रौपदी के भी अच्छे मित्र थे । श्रीमद्भागवत कथा का रसपान करने प्रगतिशील स्वर्ण एवं रजत समिति के सचिव तथा शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय चांपा के सहायक प्राध्यापक ( वाणिज्य ) रहे शशिभूषण सोनी ने व्यासपीठ पर विराजीत आचार्य श्रीकांत तिवारी जी का शाल श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया । आचार्य श्री ने उन्हें राधे-राधे दुप्पटा पहनाया । दो घंटे तक शशिभूषण सोनी दंपत्ति ने मंत्रमुग्ध होकर श्रीमद्भागवत कथा श्रवण किया ।
*कलयुग में संकीर्तन और भक्ति भाव ।*
कलयुग में हरि नाम संकीर्तन और भक्ति की महत्ता प्रतिपादित करते हुए तिवारी ने कहा कि कलयुग में साधु-संत साक्षात् देवता हैं । संतों ने मनुष्य को ईश्वरीय ज्ञान दिया हैं , ईश्वर से जोड़ा हैं । इसलिए हरिनाम संकीर्तन करे , इसमें परिश्रम कम और जीवन नैया पार लगाने में कोई परिश्रामिक नहीं लगता । साधु-संतों की संगत में रहकर मनुष्य को यदि व्यक्ति को जौ की भूसी रोटी भी मिल जाए तो उसे प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार कर लेना चाहिए । उन्होंने कहा कि हर मनुष्य को श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना चाहिए क्योंकि इसके पाठ से भगवान मनुष्य के हृदय में समा जाते हैं ।
*बड़ी संख्या में महिलाएं कथा महात्म्य के साथ-साथ भजन-कीर्तन का आनंद ले रही हैं मुड़पार गांव वृंदावन धाम बन गया ।
*श्रीमद्भागवत कथा स्थल पर श्रीमति कुसुम देवी, ममता , वंदना पाण्डेय, आकांक्षा तिवारी , समृद्धि,सिमरन,सीमान, स्वयं संस्कृति पाण्डेय के साथ-साथ भजन-कीर्तन मंडली ने ऐसी धुनी जमाई की सब लोग भजन करने लगे । इस अवसर पर ग्राम वृंदावन सा लग रहा था । अंतिम दिन होने के कारण गांव के अलावा अन्यान्न्य ग्रामीण क्षेत्रों के लोग विशेष आमंत्रण पर पहुंचे और अपने आप को ईश्वरीय कृपा मान रहे थे । कथा श्रवण करने विवेक तिवारी, शरद तिवारी,अक्षय कुमार तिवारी , गोलू पाण्डेय, सुरेश पाण्डेय,सोनी पाठक, गिरीश कुमार पाठक , जितेन्द्र पाण्डेय, बेनीराम झलरिया , धनंजय झलरिया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त श्रद्धा और विश्वास से भरे वातावरण में पहुंच रहे हैं । आज़ गीता पाठ , तुलसी वर्षा, होम -हवन, सहस्त्रधारा और दिनांक 4 सितम्बर को भोग भंडारा आयोजित हैं ।