छ ग चीफ ब्यूरो प्रमुख भूपेंद्र देवांगन
जांजगीर चांपा (सलवा जुडूम मीडिया) आपको बता दे कि जनता किसे सत्ता सौंपेगी और किसे सत्ता से बेदखल कर देगी, ये जनता के पास शक्ति होती है। जनता ने अपनी शक्ति का प्रयोग किया भी और काँग्रेस के पांच वर्ष के भ्रष्ट शासन से त्रस्त होकर, उसे सत्ता से उखाड़ फेंका, ये उम्मीद कर के, कि सत्ता परिवर्तन के साथ व्यवस्था में परिवर्तन होगा, लेकिन जांजगीर- चाम्पा की जनता की पीड़ा दूर नहीं हुई।
सत्ता किसी की भी हो, पुलिस प्रशासन के कार्यों में कोई परिवर्तन नहीं आया, जांजगीर- चाम्पा के थानेदार इतने निडर हैं, कि अपराधियों को अपराध करने की खुली छूट दे रखी है थानेदारों को किसका संरक्षण मिला है, ये समझना कठिन है, एक तरफ हमारे मुख्यमंत्री कहते हैं, कि हम सुशासन लाएंगे और दूसरी तरफ, पुलिस का अत्याचार और प्रशासन में भ्रष्टाचार दोनों बढता जा रहा है, इतनी लचर सरकार पहले कभी नहीं देखी।
जांजगीर-चाम्पा के पुलिस महकमें और थानेदारों के सिर पर किसका वरदहस्त है…? जिनकी शह पाकर कानून के रखवाले ही, कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ा रहे हैं। जिन्हें कानून व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उन्हीं के नाक के नीचे, अपराध बढ़ रहा है। चोरी-चकारी, लूट, व हत्या रोजमर्रा की बात हो गई है, छोटी-छोटी बच्चियों के बलात्कार हो रहे हैं, अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ा हुआ है, कि वे निडर होकर किसी भी अपराध को अंजाम देकर घूम रहे हैं। चाम्पा और जांजगीर थाने के जो निरीक्षक हैं, इन दोनों की कार्यशैली बहुत लुंज-पुंज है, जिसके कारण कानून व्यवस्था लचर हो गई है, यही कारण है कि बड़ी-बड़ी घटनाओं का घटित होना आम बात हो गई है।
आपराधिक मामलों के बढ़ने का एक और कारण है, नशीले पदर्थों का खुलेआम बिकना, शहर में जगह-जगह ठेलों पर गांजा और शराब बिक रहा है, पुलिस के नाक के नीचे बिना पुलिस वालों के मिलीभगत के कैसे नशीले पदार्थ बिक रहे हैं, यहां हर प्रकार की प्रतिबंधित दवाइयाँ नशे के लिए युवाओं को उपलब्ध हैं, यहां के पुलिस अधीक्षक ही इन सब स्थिति को अनदेखा कर रहे हैं, और अपराधियों पर कार्यवाही करने के बजाय, पुलिस मासूम लोगों पर कार्यवाही कर रही है, जिससे जनता में दहशत है, और अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं, मतलब कि ताकतवर अपराधी को छोड़कर, कमजोर बेकसूर के ऊपर अपराध पंजीबद्ध करके उसको फंसाया जा रहा है और ये सारा कृत्य थानेदार के संरक्षण में हो रहा है, इन दोनों थानेदारों को किसका संरक्षण प्राप्त है..? ये सोचकर जनता भी चिंतित है, सबसे चिंतनीय विषय यह है, कि यदि रक्षक ही भक्षक हो जाएगा तो फिर जनता किसके पास अपनी फरियाद लेकर जाएगी। यही स्थिति पूरे जांजगीर-चाम्पा ज़िले की है, यहां के थानेदारों को जल्द से जल्द हटाया जाना चाहिए, और किसी काबिल व्यक्ति की पदस्थापना इस क्षेत्र में की जानी चाहिए, जो क्षेत्र की जनता की पीड़ा समझे और न्यायप्रिय कार्य करे ताकि पुलिस प्रशासन के प्रति आम जनता का विश्वास बना रहे।
जांजगीर-चाम्पा ही नहीं पूरे प्रदेश में अपराधों के बढ़ते ग्राफ से जनमानस में असन्तुष्टि का भाव हैं, अभी हाल ही में बलरामपुर.. सूरजपुर, बलौदाबाजार, कवधाः की वीभत्स घटनाएँ सामने आई है, कमोबेश पूरे प्रदेश की यही स्थिति देखने को मिल रही है। इससे पहले इतनी लचर व्यवस्था देखने को नहीं मिली, शासन- प्रशासन में कसावट लाने की नितांत आवश्यकता है। जनता ने भ्रष्टाचार और भर्राशाही से तंग आकर, कांग्रेस की सत्ता को उखाड़ फेंका और भाजपा को सत्ता की कमान सौंपी, लेकिन साय सरकार लगातार लगभग हर मोर्चे पर असफल होती नजर आ रही है, यदि जनता में यही अविश्वास कायम रहा तो, नगरी निकायों और उपचुनावों में ही असर पड़ता दिखाई देगा। यदि जनता ने उम्मीद कर के आपको सत्ता सौंपी है, तो सरकार आत्ममुग्धता से बाहर आकर प्रदेश की स्थितियों का जायजा ले, और अपराधों पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन में कसावट लाएं तभी जनता में पुनः विश्वास स्थापित कर सकेंगे, अन्यथा मैंने पहले भी आगाह किया था, आज भी जनता के भीतर असन्तुष्टि को देखते हुए सचेत कर रहा हूँ, कि यदि ऐसी ही वस्तुस्थितियों की अनदेखी की गई तो प्रदेश में भाजपा की सत्ता बने रहने के लिए, जनता का आशीर्वाद मिलना बहुत मुश्किल होगा, हर बार तुक्का नहीं लगता, जनता ने यदि विश्वास जताया है, तो सरकार का प्रथम कर्तव्य है, कि अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निर्वहन करें।
मैं भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी आग्रह करूँगा कि छत्तीसगढ की सुध लें, शासन-प्रशासन, में कसावट लाने के लिए उचित परिवर्तन करें, जनता का भरोसा जिस नेता पर है, उन कद्दावर अनुभवी नेताओं को उचित जिम्मेदारी सौपें ताकि पटरी से उतरते हुए, प्रशासन की गाड़ी को दिशा और रफ्तार मिल सके।