जांजगीर चांपा के व्यवसायी की जेल में मौत के बाद परिजनों ने बिलासपुर आईजी को ज्ञापन सौंप जांच की मांग की,,,

जांजगीर चांपा के व्यवसायी की जेल में मौत के बाद परिजनों ने बिलासपुर आईजी को ज्ञापन सौंप जांच की मांग की,,,
जांजगीर चांपा के व्यवसायी की जेल में मौत के बाद परिजनों ने बिलासपुर आईजी को ज्ञापन सौंप जांच की मांग की,,,

जांजगीर चांपा के जमीन व्यवसायी की जेल में मौत हो गई. मामले में परिजनों ने गुरुवार को बिलासपुर आईजी को ज्ञापन सौंप जांच की मांग की है. परिजनों का आरोप है कि धोखाधड़ी के मामले में उनके भतीजे को पुलिस ने पकड़ा था. पिछले एक माह से वो जेल में बंद था. एक महीना जेल में रहने के बाद अचानक परिजनों को जानकारी मिली कि उनके भतीजे की तबीयत खराब है और वह जिला अस्पताल में भर्ती है. जब परिजन मिलने पहुंचे तो कुछ देर बार उसकी मौत हो गई. मामले को परिजनों ने संदिग्ध करार देते हुए न्यायिक जांच की मांग की है.बताया जा रहा है की जांजगीर चांपा में रहने वाला एक जमीन व्यवसाई नितेश वीरानी एक जमीन के सौदे में गवाह था. मामले में एक महिला से जमीन खरीदने वाले दो अन्य लोगों का विवाद हो गया. विवाद के बाद महिला ने चांपा रहना में रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने नितेश वीरानी को जिला जेल में बंद कर दिया. मृतक जेल में लगभग एक माह रहा. 17 जून को उसकी तबियत खराब होने पर उसे जिला अस्पताल चांपा में भर्ती किया गया. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इस मामले में परिजनों ने गुरुवार को बिलासपुर आईजी को ज्ञापन सौंपा है और जांच की मांग की है. बता दे की मृतक नितेश के चाचा ने आरोप लगाया है कि जिस मामले में पुलिस ने उनके भतीजे को गिरफ्तार किया था, उसमें वह मात्र गवाह था. जबकि धोखाधड़ी की उसे कोई जानकारी नहीं थी. इसके अलावा जब पुलिस उसे घर बुलाने आई तब यह कहकर उसे घर से थाना ले गए कि उसे गवाही के तौर पर बुला रहे हैं. बाद में पुलिस ने उसे आरोपी बना दिया गया. इसके साथ ही दो अन्य आरोपी के बजाय उनके भतीजे को मुख्य आरोपी बना दिया गया और उसे जेल भेज दिया गया. जेल में उसे प्रताड़ित किया गया और उसके साथ मारपीट भी की गई. उसके शरीर पर चोट के निशान थे. नितेश के तबियत बिगड़ने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती किया गया. लेकिन पुलिस ने इसकी सूचना नहीं दी. दूसरों से परिजनों को पता चला कि नितेश की तबियत खराब है. जानकारी के बाद परिजनों ने जेल प्रशासन के कर्मचारी से आग्रह किया कि वे उसे बड़े निजी अस्पताल ले जाना चाहते हैं. तब जेल कर्मचारी ने उन्हें मना कर दिया. जेल की कागजी कार्रवाई के बाद ही उसे निजी अस्पताल ले जाने की बात कही. जेल की कागजी कार्रवाई में लगभग 3 घंटे का समय लग गया. इस बीच नितेश की तबीयत और भी बिगड़ गई. परिजनों के अनुसार मृतक ने अंतिम समय में अस्पताल पहुंचने से पहले परिजनों को अपने साथ हुए प्रताड़ना की जानकारी दी. अस्पताल में उसकी मौत हो गई. इस मामले में मृतक के चाचा ने सिंधी समाज के साथ आकर बिलासपुर आईजी से न्यायिक जांच की मांग की है. साथ ही ज्ञापन सौंपा है.