देश में चल रहे धर्म के विवादों पर स्वामी जी के कड़े बोल
रायपुर| राष्ट्रीय टी.वी. चैनलों पर रात-दिन चलते डिबेट्स जो केवल धर्म और हिन्दू धर्म गुरुओं को लेकर किये जा रहे हैं, यह
उत्तेजित करने वाले होते हैं, इन बातों से क्षुब्ध होकर, स्वामी जी ने आज अपनी चुप्पी तोड़ी, सबसे पहले तो उन्होंने मीडिया के व्यवहार को गैरजिम्मेदाराना बताते हुए कहा कि राष्ट्र हित को मुद्दा बनाने के बजाए, धर्मगुरुओं के छोटी-छोटी बातों को राष्ट्रीय मुद्दे की तरह प्रस्तुत कर रहे हैं, मीडिया प्रजातन्त्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, तो मीडिया को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए, जनता के हित के मुद्दे गम्भीरता से उठाने चाहिए, और पत्रकारिता की गरिमा बनाए रखनी चाहिए।
भारत भूमि ने आधात्म और विज्ञान के चरम को स्पर्श किया है, यहाँ देवताओं को भी भयभीत कर देने वाले देवतुल्य महात्मा और ऋषि मुनि हुए हैं, लेकिन एक नवजवान जो स्वयं को बाबा बताता है, किसी का नाम, पता बताकर चमत्कार करने का दावा करता है, और उस दावे को पूरे देश की मीडिया द्वारा महिमामण्डित किया जाना हास्यास्पद है।
हम तो साधक हैं, “माँ” के दरबार में रोज चमत्कार होते हैं, और सौभाग्यशाली लोग चमत्कार देखते हैं, लेकिन धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कितनी साधना और तप किया है, इसका मुझे पता नहीं, क्योंकि मैं उनको जानता नहीं, न कभी उनसे मिला हूँ, इसलिए ये नहीं बता सकता कि वे कलाकार हैं, या चमत्कार करते हैं, लेकिन परमात्मा का भक्त यदि सच्चे मन से लोक कल्याण में लगा हो तो कुछ चमत्कार हो जाना कोई बड़ी बात नहीं है।
यदि ये मान लिया जाए कि वे चमत्कारिक पुरूष हैं, तो उनको जान से मारने की धमकी देने वाले का भी नाम, पता, मोबाईल नम्बर के साथ एफ. आई. आर. दर्ज कराना चाहिए था।
देखिए चमत्कार तो सिर्फ ईश्वर ही करते हैं और मनुष्य ईश्वर का की सबसे सुंदर कृति है मनुष्य ईश्वर के द्वारा बनाया हुआ ऐसी कृति है जो पूरे ब्रह्मांड पर राज कर रहा है, क्या ये परमात्मा का चमत्कार नहीं है।
हिंदू राष्ट्र की जहां तक बात है उनका आह्वान ही गलत है और जो कोई भी हिंदू राष्ट्र बनाने का या मुस्लिम राष्ट्र बनाने का, या किसी भी जाति पंथ धर्म के आधार पर राष्ट्र का निर्माण तो, हो ही नहीं सकता है हमारे देश का संविधान ऐसा निर्मित है और हम विविधता में एकता वाले देश हैं और सदा से हमारे देश की यही विशेषता रही है और यह विशेषता सदैव कायम रहेगी, हमारे भारत के संविधान की संरचना ही ऐसी है, और कोई भी जो इस संरचना के विरुद्ध बोलता है, तो वह या तो बड़बोला है या अज्ञानी है। वे लोग धार्मिक पुस्तकों के साथ-साथ अपने संवैधानिक अपने कानूनी पुस्तकों का भी थोड़ा अध्ययन कर लेते तो इस तरह से विवादों में नहीं फंसते, ऐसे बड़बोले बयान नहीं देते।
उम्र छोटी है और प्रचार-प्रसार हो गया, इतनी कम उम्र में इतनी लोकप्रियता उन्हें प्राप्त हो गई वास्तव में यह चमत्कार है चमत्कार से कम नहीं और सचमुच में भगवान बालाजी की, उन पर पूर्ण कृपा है लेकिन मेरी,उनको एक सलाह है, कि थोड़ा कानून का भी अध्ययन करें और थोड़ा धैर्य रखें क्योंकि लोकप्रियता का ग्राफ जितनी तेजी से ऊपर जाता है, उसे लुढ़कने में बहुत वक्त नहीं लगता। लोकप्रिय होना एक बात है और लोकप्रियता बनाए रखना अलग बात है। इसलिए वे धैर्य का प्रदर्शन करें व्यवहार में गंभीरता लाएं।
वे अपने सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर रहे हैं, यह प्रचार प्रसार का अधिकार भी तो हमारा संविधान ही प्रदान करता है धर्म के साथ-साथ राष्ट्र धर्म और राष्ट्र के कानून का भी सम्मान करें, क्योंकि जब राष्ट्र और धर्म दोनों के बीच चयन करना होगा तो राष्ट्र प्रथम है व्यक्ति और धर्म और संप्रदाय कोई मायने नहीं रखता, राष्ट्र से हम हैं हमसे राष्ट्र नहीं है।
आज कल जिस तरह से हिंदुत्व का प्रचार किया जा रहा है, उस शैली से सनातन धर्म, आहत हो रहा है, उसकी गरिमा का ख्याल रखें, कोई अनर्गल, अव्यहारिक बयान देने बचना चाहिए।
वक्त आने पर माला छोड़कर, धर्म की रक्षा के लिए भला भी उठाना पड़े तो हम पीछे नहीं हटेंगे लेकिन बेकार की बातों में उलझना किसी दूसरे को उलझाना, हम इनके विषय में ना तो बोलना चाहते थे ना बोलने की इच्छा रखते थे लेकिन जब धर्म और संविधान दोनो की बात आ गई जिसमें पूरा देश उलझ गया है। धर्म के प्रचार से धर्म का अपमान कतई नही होनी चाहिए।