अविभाजित मध्यप्रदेश शासन में कोरबा में शिक्षक भर्ती में हुआ फर्जीवाड़ा?

अविभाजित मध्यप्रदेश शासन में कोरबा में शिक्षक भर्ती में हुआ फर्जीवाड़ा?
अविभाजित मध्यप्रदेश शासन में कोरबा में शिक्षक भर्ती में हुआ फर्जीवाड़ा?

सिटी रिपोर्टर अनिल बाबा

रायपुर (सलवा जुड़ूम मीडिया) आपको बता दे कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद हुए शिक्षक भर्ती में भ्रष्टाचार जमकर चला है जिसकी बानगी भी समाचार पत्रों में लगातार देखने एवं सुनने को आ रही है। कुछ मामलों में विभाग द्वारा कार्रवाई के नाम पर खाना पूर्ति करते हुए निलंबन भी किया गया है लेकिन बर्खास्तगी की कार्रवाई नहीं हो रही है।ऐसा ही एक मामला कोरबा जिले से आया है। यह मामला अविभाजित मध्य प्रदेश शासन काल का है जिसमें शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़ा किया गया है। इस बात का खुलासा सूचना का अधिकार द्वारा विभाग से प्राप्त दस्तावेजों से हुई है। एक ऐसी महिला जो सामान्य वर्ग से आती है, वह अपने आप को अनुसूचित जनजाति (ST) होना बताते हुए शिक्षक भर्ती का लाभ ली है। नियुक्ति के बाद से लेकर अब तक शिक्षिका ने वेतन आहरण कर करोड़ों रुपए शासन के डकार लिए है।

इस मामले की लिखित शिकायत मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन से होने के बाद अब जांच शुरू हो चुकी है। विभाग द्वारा प्राप्त सत्यापित दस्तावेजीय प्रमाण होने के कारण उक्त शिक्षिका की बर्खास्तगी होना तय माना जा रहा है। वहीं महिला ने भी खुद को सामान्य वर्ग की कहते हुए इस बात पर मुहर लगा दी है कि वह एक सामान्य वर्ग में आने वाली महिला है और उनकी भर्ती गलत तरीके से हुई है।

क्या है पूरा मामला….

अविभाजित मध्य प्रदेश शासन काल में वर्ष 1994 – 95 में बिलासपुर जिले के लिए आदिम जाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा जिला स्तरीय सहायक शिक्षक भर्ती में शिक्षक – शिक्षिकाओं की भर्ती निकली थी। इस भर्ती में लगभग 100 से भी अधिक शिक्षकों की भर्ती हुई थी जिसमें कोरबा जिले में वर्तमान में पदस्थ शिक्षिका लिली रूथ टोप्पो का भी चयन हुआ था। उक्त शिक्षिका की नियुक्ति अनुसूचित जनजाति वर्ग अंतर्गत हुई थी जबकि उक्त महिला एक सामान्य वर्ग से आती है जिसके कारण अब उनकी नियुक्ति पर सवाल उठने लगा है।

इस बात की जानकारी होने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र साहू ने संबंधित विभाग में सूचना के अधिकार के माध्यम से नियुक्ति संबंधी जानकारी चाही। आरटीआई से मिली जानकारी में महिला की नियुक्ति अनुसूचित जनजाति वर्ग में हुई है जो की नियुक्ति आदेश में स्पष्ट रूप से दर्ज भी है, जबकि प्राप्त दस्तावेज में महिला सामान्य वर्ग की है। आरटीआई कार्यकर्ता का कहना है कि उक्त शिक्षिका के द्वारा शासन को अब तक करोड़ों रुपए की हानि पहुंचा चुकी है, वहीं एक पात्र आदिवासी वर्ग की महिला के भविष्य के साथ भी उन्होंने खिलवाड़ किया है क्योंकि उनकी नियुक्ति यदि फर्जी है तो कहीं ना कहीं एक पात्र आदिवासी महिला इस पद से वंचित हो गई।

शिक्षिका ने कहा मैं सामान्य वर्ग में आती हू:- जाति वर्ग को लेकर शिक्षिका लिली रूथ टोप्पो ने खुद चौंकाने वाला बयान दिया है। महिला द्वारा मीडिया कर्मी को कैमरे के सामने जानकारी साझा करते हुए कहा है कि वह एक सामान्य वर्ग की महिला है। उसकी नियुक्ति अनुसूचित जनजाति में त्रुटि वश हुई है। वह एक सामान्य वर्ग की महिला है और सामान्य वर्ग की ही है।

शिक्षिका सामान्य वर्ग की है तो आदिवासी जमीन की खरीदी बिक्री कैसे? शिक्षिका द्वारा दिए गए बयान के बाद एक और नया मोड़ सामने आ गया है। शिक्षिका ने आदिवासी बनकर नौकरी हासिल की है जिसमें उन्होंने अपना जाति प्रमाण पत्र भी संलग्न किया है लेकिन अब मीडिया को सामान्य वर्ग की बता रही है। वही शिक्षिका आदिवासी बनकर आदिवासी जमीन की खरीदी – बिक्री भी की है जिसके प्रमाणित दस्तावेज भी इस बात को प्रमाणित कर रहे हैं। ऐसे में महिला किस वर्ग की है इस बात पर अब सवाल भी उठने लगा है।

शिक्षिका के पुत्र ने कहा जांच का विषय है :- शिक्षिका के खिलाफ हुई शिकायत को लेकर जब मीडिया कर्मी ने उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क किया तो उनका कॉल उनके पुत्र के द्वारा रिसीव किया गया, तभी पुत्र से जब शिक्षिका के जाति को लेकर जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि मामले में शिकायत हुई है, जांच का विषय है, जांच होने के बाद ही जाति संबंधी स्पष्टीकरण होगा। इस पूरे मामले की जांच के लिए संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग बिलासपुर ने शासकीय हाई स्कूल के प्राचार्य अभिमन्यु साहू को जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी है। जांचकर्ता अधिकारी के द्वारा मामले से संबंधित शिकायतकर्ता से बयान दर्ज कर लिया गया है। शिकायतकर्ता ने सभी दस्तावेज उपलब्ध करा दिए हैं जिसमें शिक्षिका द्वारा आदिवासी बनाकर नौकरी प्राप्त करना स्पष्ट है।

निष्पक्ष जांच नहीं होने पर जांचकर्ता अधिकारी के खिलाफ होगी शिकायत:- शिकायतकर्ता जितेंद्र साहू का कहना है कि मेरे द्वारा की गई शिकायत की जांच के लिए शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला, जमनीपाली के प्राचार्य अभिमन्यु साहू को जिम्मेदारी दी गई है। जांचकर्ता अधिकारी के द्वारा मेरा बयान दर्ज कर लिया गया है। मेरे द्वारा सभी दस्तावेज उपलब्ध करा दिए गए हैं, जांचकर्ता अधिकारी ने शिक्षिका का बयान लेने की बात कही है। शिकायतकर्ता ने यह भी कहा है कि जांचकर्ता अधिकारी द्वारा निष्पक्ष रूप से जांच नहीं की जाएगी तो उनके खिलाफ भी मेरे द्वारा शिकायत किया जाएगा और कार्रवाई की मांग की जाएगी।

एक सप्ताह के भीतर भेजना था जांच रिपोर्ट….

संयुक्त संचालक शिक्षा विभाग बिलासपुर के द्वारा जांचकर्ता अधिकारी को एक सप्ताह के भीतर जांच कर रिपोर्ट भेजने संयुक्त संचालक, शिक्षा विभाग ने जांच का आदेश दिया था। लेकिन मामले में अब तक जांच लंबित है। इस पर भी सवाल उठने लगा है। हालांकि शिकायतकर्ता का बयान दर्ज कर लिया गया है, शिक्षिका का बयान होना बाकी है। देखना होगा कि कब तक जांच रिपोर्ट अधिकारी को भेजी जाएगी।इस पूरे मामले में महिला द्वारा मीडियाकर्मी को दिए गए बयान एवं बेटे के बयान से स्पष्ट नजर आ रहा है कि मामले में जाति को लेकर फर्जीवाड़ा किया गया है। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है, ये सभी जांच का विषय है। जांच होने के बाद ही सच्चाई सामने आएगी।