दही हांडी महोत्सव आज़ ! ब्रज मंड़ल की तर्ज पर कंचन की नगरी चांपा में धूम मची,,,

दही हांडी महोत्सव आज़ !  ब्रज मंड़ल की तर्ज पर कंचन की नगरी चांपा  में धूम मची,,,
दही हांडी महोत्सव आज़ !  ब्रज मंड़ल की तर्ज पर कंचन की नगरी चांपा  में धूम मची,,,

*मच गया शोर सारी नगरी रे आया ब्रज का बांका संभाल तेरी गगरी रे – अंशिका-लक्ष्य अग्रवाल शिवी और दिव्या- नव्या ।*

छ ग चीफ ब्यूरो प्रमुख भूपेंद्र देवांगन

*न्यूज़ चांपा (सलवा जुडूम मीडिया) आपको बता दे कि भारतवर्ष व्रत और त्यौहारों का देश हैं । प्रतिदिन कोई ना कोई त्यौहार पड़ता हैं। इस बार जन्माष्टमी 26 अगस्त 2024 को मनाया गया उसके दुसरे दिन दही हांडी महोत्सव हैं । यह पर्व मथुरा वृन्दावन गोकुल की तर्ज पर कंचन की नगरी चांपा में हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया।ऊंची-ऊंची इमारतों में बांधी गई दही हांडी को फोड़ने के लिए युवाओं के साथ बच्चों का हुजुम उमड़ पड़ता हैं । बरपाली चौक डागा कालोनी में निवास करने वाले रोशनलाल हार्डवेयर स्टोर्स के संचालक रोशनलाल-श्रीमति कमला देवी अग्रवाल के घर पर सुश्री अंशिका और हैं नन्हा-सा लक्ष्य , डॉ अमित शील स्वर्णकार बिलासपुर की बेटी शिवी स्वर्णकार तथा श्रीमति शांता-महेंद्र गुप्ता की पुत्री दिव्या और नव्या ने जन्माष्टमी महोत्सव हर्षोल्लास से मनाया । इस दौरान कृष्ण या राधा रानी बनों, कान्हा को सजाओं तथा कृष्ण नृत्य भजन का भी आयोजन किया गया । 40 से अधिक बच्चों ने भाग लिया और उन्हें पुरस्कृत किया गया । अंशिका अग्रवाल , दिव्या और नव्या केसरवानी तथा नन्ही-सी परी शिवी स्वर्णकार ने माखन से भरी मटकी फोड़ कर तथा लक्ष्य ने श्रीकृष्ण बनकर उपदेश देते हुए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महा महोत्सव मनाया ।

*दही हांडी महोत्सव की परंपरा की शुरुआत श्रीमद्भागवत कथा ग्रंथों से मिलती हैं ।*

धार्मिक आस्था रखने वाले व साहित्यकार शशिभूषण सोनी ने बताया कि श्रीमद्भागवत में भगवान श्रीकृष्ण के बचपन का सुंदर चित्रण किया गया हैं । बाल्यकाल के दौरान कृष्ण अपने मित्रों के साथ मिलकर गोकुल वासियों के घरों में माखन चुराकर कर अपने निर्धन मित्रों को खिला देते थे , जब यह बात गांव की महिलाओं को पता चली तो उन्होंने माखन भरी मटकी को ऊंचे-ऊंचे स्थल पर बांधना शुरू कर दिया । ऐसी स्थिति में भी श्रीकृष्ण अपने मित्रों की सहायता लेकर एक ऊंचा और गोल घेरा बनाकर इसके ऊपर चढ़कर माखन चुरा लेते हैं । माखन चुराने के कारण ही कृष्ण का नाम ‘माखन चोर ‘ पड़ा । भगवान श्रीकृष्ण की इसी लीला का आनंद लेने कालांतर में दही हांडी महोत्सव की परंपरा शुरू हुई और इस लीला को मनाने छोटे-छोटे बच्चें उत्साहित नज़र आते हैं ।

*मधुबन में राधिका कैसे नाचें के गीतों पर ऐरन और शिवी की प्रस्तुति दर्शकों को आकर्षित करते रही ।*

अजय -श्रीमति मधु अग्रवाल के सुपुत्र ऐरन अग्रवाल , अधिवक्ता महेंद्र शांता गुप्ता की जुडूवा पुत्री दिव्या और नव्या तथा इंजीनियर श्रीमति शीला-अमित की सुपुत्री शिवी स्वर्णकार ने कृष्ण और राधा बनकर आकर्षक प्रस्तुति दी । मधुबन में राधिका कैसे नाचें के गीतों पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई और खूब तालियां बटोरी ।

*बालक बने कृष्ण तो बालिका बनी राधा ! सुमधुर गीतों पर बच्चें खूब झुमते नज़र आए ।*

हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की और नंद के आनंद भयो जै कन्हैयालाल की के समधुर गीतों पर बच्चें झुमते नज़र आए। हाईकोर्ट बिलासपुर के सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार स्वर्णकार , श्रीमति शांता गुप्ता, पूर्व पार्षद श्रीमति शशिप्रभा सोनी, डां श्रीमति कुमुदिनी-रविंद्र द्विवेदी , श्रीमति हीरा सोनी बिलासपुर तथा वयोवृद्ध रोशनलाल अग्रवाल ने कहा कि बालमन निश्चित रूप से नटखट होता हैं । कृष्ण जन्माष्टमी के ही सही बच्चों और युवा वर्ग को हम सब अपनी धर्म और संस्कृति से जोड़े। बालरुप कृष्ण और राधा को देखकर हम सबको भी अपने में कुछ प्रेरणा लेनी चाहिए । भजन-कीर्तन की स्वर लहरियों से वातावरण कृष्णमय हो गया

*माखन चोरी संचित धन के समान हैं, बच्चों को पौष्टिक आहार मिलना चाहिए – कुलवंत सिंह सलूजा ।*

प्रेस क्लब चांपा के ऊर्जावान अध्यक्ष डॉ कुलवंत सिंह सलूजा ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के अनेक रुप और हर रुप में लीलाएं अद्भुत हैं मां के लाडले जिसके संपूर्ण व्यक्तित्व में मासुमियत समाई हुई हैं । वह मां से पूछने पर बताते हैं कि मैय्या मैं माखन नहीं खाया । मां यह राधा इतनी गोरी क्यों हैं और मैं क्यूं काला हूं । श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर श्रीकृष्ण द्वारा माखन चुराना की सांस्कृतिक प्रस्तुति एक सांसारिक लीला ही नहीं बल्कि इसमें भी गहरे वाक्यांश छिपे हुए हैं । इसका सीधा सा मतलब हैं कि हमारे पास आवश्यकता से अधिक धन हैं तो इससे दूसरों की मदद करनी चाहिए । गुरु नानक देव जी ने दान की प्रवृत्ति पर बल दिया । देने से धन बढ़ता हैं इसी तरह मक्खन संचित धन के समान हैं । माखन चोरी शरीर में चुस्ती-फुर्ती का प्रतीक हैं । बाल्यकाल में बच्चों को दूध ,दही , शुद्ध घी और मक्खन जैसे शक्ति वर्धक आहार मिलना चाहिए ।